गुरुवार, 31 मई 2012
कामना है तेरी जय की. विजय की !
परिणाम का मौसम है ,जिन बच्चों को परीक्षा का फल नहीं मिला होगा वो गहन निराशा में होंगे .मिल रही सांत्वना
कम पड़ रही होगी जबतक माँ-पिताजी से सांत्वना जबतक मिले नहीं तबतक छटपटाहट कायम रहेगी .आंधी तूफ़ान
की तरह असफलता दिल से दिमाग तक को झकझोर रही होगी.आंधी में बिजली काट दी जाती है.पर बहुत से अभिभावक सफल बच्चे का फोटो ,उसका रैंक ,उसकी लचर आर्थिक स्थिति की बखान करते नहीं थकते .चर्चा में तुलना होता है .जो आंधी में बिजली सप्लाई जैसा ही है .तार टूटेगा ,गिरेगा ,किसी की जान ले लेगा ! उसकी आंधी थमने दीजिये तब चिराग जलाइए .एक रास्ता बंद हो जाने भर से यात्रा बंद नहीं हो जाती . रास्ते कई हैं जो मंजिल तक पहुचाती है . नए नए कई रास्ते बने है पर 'राही' नहीं रहेगा तो रास्ते किसलिए ? मनोबल तोडिये नहीं बढाइये . चुके हुए ! आगे तेरे से कोई चुक न हो , कामना है तेरी जय की. विजय की !
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें