सोमवार, 29 अगस्त 2011

माँ अब फोटो में है !

कब जननी का जन्म हुआ मालूम नहीं. जन्म दिन शुरू से प्रचलन में रहा नहीं .पर पुण्यतिथि की परम्परा संस्कृति में रची बसी है . कल्ह माँ की पुण्यतिथि थी .कल्ह के दिन ही माँ अपना आँचल मेरे सर से समेट ली थी .हमउम्र की माँ क्या दादी अभी मौजूद है, ये उनका सौभाग्य ! मैं अक्सर उनमे माँ तलाशता रहता हूँ झलक मिलती है कभी कभी . दर्द ,मुस्कान तैरता है, उतराता है फिर डूब जाता है . काश ! इश्वरिये संविधान में माँ के जाने पर प्रतिबन्ध होता . माँ को 'माय' कब और कैसे कहा अभी समझ में आ ही रहा था कि....
माय को 'आप' कहते कहते 'तुम' कहना कब और कैसे शुरू किया याद नहीं. रिसर्च का वक्त था ,पिताजी क्यों शुरू से अंत तक ''आप " रहते हैं ,माँ क्यों 'तुम' का सफ़र सुहाना समझती है .फिर से आप कहने का मन था ."आप -तुम -आप" की धुन पर लय देने की चाह , डाह दी गई . 'आप' से 'तुम' तक स्वर साथ दिया 'आप' तक आते आते टूट गया ,बिखर गया स्वर के साथ सब कुछ .क्योंकि माँ धुरी थी .
माँ तुम माँ हो ! केवल माँ हो !! क्यों मैं बहुत बार कहता था . माँ परेशां हो जाती थी सुनकर .

जो है हमारे पास वो दीर्घकाल तक रहेंगे ,ठोस हैं , अविनाशी हैं का भ्रम , हमें हर पल को संजीदगी से जीने नहीं देता,उपयोग ,उपभोग नहीं करने देता .
"न जाने कौन सा पल मौत की अमानत हो ,हर एक पल की ख़ुशी को गले लगा के जियो ! " योजना को तत्काल आकार दिया जाना चाहिए .
फोटो में है माँ अब , दोनों फोटो में माला पहनी हुई है . एक में मुस्कुराती "माय" है , दुसरे में उदास "माय "!
दोनों फोटो कुछ-कुछ बताने समझाने में व्यस्त रहती है .

गुरुवार, 2 जून 2011

प्रसाद वितरण !

राजपथ पर दरवार सजा .समारोह था. जो अपने बदौलत लालटेन की रोशनी में प्रथम स्थान मैट्रिक में पाए वो सम्मानित किये गए. जो राज्य में प्रथम, जिला में प्रथम आए या फिर अपने स्कूल में अब्बल रहे हो उनके हौसले और बुलंद किये जाए. समाज भी सम्मान करता है, राजा ने भी किया .अगली पंक्ति में बैठे ,खड़े ,सोये व्यक्ति पाता आया है .अशोक राज में पिछली पंक्ति पर भी नज़र जानी चाहिए . दूसरी पंक्ति या आखिरी पंक्ति में कोई क्यों है . क्या पीछे खड़े की नियति हैं पीछे खड़े होना या आलस्य ,प्रमाद ,डर, ? क्या पीछे वाले को धक्का या मौका देकर आगे नहीं किया जा सकता .प्रोत्साहन तो सब पर असर छोडती है .फिर इस क्रिया से कोई अबोध वंचित कैसे रह जाता है .

सुविधाभोगी असुविधा पर क्या बता पायेगा जिससे राजा सलाह करेंगे . राजा को पिछली पंक्ति की दशा का पता अगली पंक्ति वाले से चलने से रहा .विकास १० का हो १०० का नहीं हो, इस सिधांत का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन करता है ."प्रसाद" का अगली पंक्ति तक का ही वितरण .
राज्य में कई हाई स्कूल बिना हेडमास्टर के चल रहे है .प्राइवेट कोचिंग संस्थान असल विद्या, नक़ल विद्या , सकल विद्या का गुर सिखा कर परीक्षा फल को स्वस्थ बनाये हुए हैं .
राजा से अनुरोध है ,आप हर स्कूल को योग्य प्राचार्य ,आचार्य दीजिये इनको मालूम होता है अंतिम बेंच का हाल , ये बेंच बदलते रहते है और एक दिन ऐसा आता है अंतिम अबोध 'पहला' हो जाता है .और योग्य लोगों की कमी नहीं है राज्य में . योग्य में 'वोट' दीखता नहीं है राजनितिक चश्मे से ,सामाजिक चश्मे से ताकिये बहुत वोट होता है .बात करने चले हैं ,विकास करने चले हैं .

सोमवार, 28 फ़रवरी 2011

दीया की बाती सी माँ !

अँधेरे -उजाले ,सुख- दुःख,
अहसास जिसका हो सके
उन सब में आती जाती सी माँ !

मल-मूत्र, उलटी, थूक-खखार,
आँचल में सँवार लेती ,
प्रकृति की छाती सी माँ !

सर्वोतम पाठशाला में
सर्वोच्च शिक्षा का
क ख ग पढ़ाती सी माँ !

मनभावन खाना खिलाकर
सुनकर बच्चों की डकार
वासी रोटी खाती सी माँ !

अनवरत काम दर्द और थकान,
दिन भर के काँव काँव के बीच,
कोयल सी गाती माँ !


उभरता है अक्श उनके चेहरे पर
हमारे खरोच का भी
निज जख्म को छुपाती आत्मघाती सी माँ

अंतिम बूंद तक दे प्रकाश
स्नेह ख़त्म होने पर भी
जलना बंद नहीं करती
दीया की बाती सी माँ !

रोते बिलखते देखना नहीं पसंद
इसलिए आँख मूंद जाती है माँ !

बुला लेता भले हो निष्ठुर भगवन
रोके नहीं रूकती ममतामयी
सपनों में सौगात लाती सी माँ !