सोमवार, 31 दिसंबर 2007

लो विदा अब वर्ष तुम भी !

लो विदा अब वर्ष तुम भी ,थक गए हो बहुत चल कर !अब तुम्हारे भार को, नए वर्ष के कंधे मिलेगे/कौन जाने दर्द कितना बांधे जा रहे हो /नए सूरज को नयन की रौशनी दिए जा रहे हो /अब तुम्हारे साथ के पल ,आँख मे बन गए काजल .
साल २००७ से क्या शिकवा ? हमने इस साल को दिया क्या है जो इससे न मिल पाने का दुःख जताया जाए .अपने तयशुदा समय [३६५] दिन मे समाप्त होना था . हो गया . ये भी एक जनवरी २००७ को नया था . ३१ दिसम्बर आते आते बूढा हो जाना तय है मैं नही मानता .समय हमेशा जवान और तन्दुरस्त रहता है . नए लिबास मे सज कर कल्ह फ़िर नया होकर आना के लिए जाता है . हम अपने सड़े गले , उधार की सोंच लेकर ब्लोगर बन अपने को लिखाऊ कहते रहे . नजरिया नही बदला .नया साधन पुरानी मनोवृति . कुछ नया नही करने का है . पुरातन से अच्छाई बटोरकर , पुरातन की बुराई को दफनाया जाए .पुवार्ग्रह से परहेज की जरूरत है . सुधार का सुझाव परोसा जाए . अभी तक उलझाव दर्शाया गया. पढे लिखे मूर्खों का जमावाडा ब्लॉग पर पाये गए .समय तुम्हे विदा कैसे कहूँ .हाँ ये साल तुम्हे विदा कहता हूँ , तेरा ये नया रूप परिवर्तन, कर दे हमारा ह्रदय परिवर्तन !

शुक्रवार, 28 दिसंबर 2007

"ला बुढिया गडास {गडासा} आज खून के नदी बहा देबउ !

कहानी सत्य घटनाओ पर आधारित होते हुए भी स्थान, काल ,पात्र काल्पनिक है . किसी व्यक्ति विशेष स्थान विशेष से मेल खाता हो तो स्तंभकार पर सॉरी बोलने का दवाब नाही बनाया जा सकता है .गलती वश ये मनोरंजन का साधन बन गया है .समाज मे ये परम्परा पुरातन है कि एक डॉक्टर आदमी डॉक्टर दामाद चाहता है .इंजिनियर , इंजिनियर दामाद को प्रोफेशनल , प्रोफेशनल को . ठीक उसी तरह एक लम्पट, लम्पट ही पसंद करता है . गरम दल का लीडर ''अंग्री यंग मैन '' दामाद चाहे तो हमे बुरा नही लगता . इसी परम्परा के तहत बिहार के किसी गाँव के " कुटाई समिति के अध्यक्ष " महोदय की शादी तय हुई . क्योंकि लड़कीवाले पुरुषार्थ प्रेमी एवं "अवकाश प्राप्त मुख्य सचिव ऑफ़ कुटाई समिति थे.चूकि दोनों पक्ष गरम दल से तलुकात रखते थे इसलिए बाराती साइड किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए "लाठी डंडा'' या फ़िर बिहारी भाषा मे "दुःख हरण " का भरपूर इन्तजाम परंपरागत रूप से किया गया . अब "मोहबिया " की बारात निकली .आज की तुलना मे पहले समय की कमी नही होने से बारात दो तीन रोज टिकती थी .यह बारात दो दिनों वाली थी . पहला दिन मोटे मोटे गर्दन पर पुता पाउडर, सिल्क का कुरता धोती को निहार कर शुभ शुभ बिताया गया . आम तौर पर शादी के नेक्स्ट डे यानी "मर्याद " को मारपीट की ज्यादागुंजाइश रहती है . इट इज फुल्ली डिपेण्ड अपोन अ माइनर मिस्टेक बाई ब्राइड साइड. जैसे :-दुल्हे के चचेरे, ममेरे , फुफेरे , मौसेरे बहनोई या फूफा जी मी से किसी एक को "धोती " न देना , रात्रि भोजन मेकम सम आइटम का होना , या फ़िर सुबह का नास्ता मे थोड़ा सा बिलंब . बहाने कई होते हैं स्थिति को तनावपूर्णबन्नने के लिए और ये नियंत्रण मे तबतक बनी रहती है जब तक बेटी वाले का अनुग्रह विग्रह मे कनवर्ट नही हो जाता . बस ऐसा ही कुछ घटित हो गया इस बरात मे भी . मेम्बेर्स अपनी-अपनी काबिलियत के हिसाब से डंडा निकाल कर Dantlation" की क्रिया मे लिप्त हो गए .मतलब की सम्भावना को सत्य मे परिणत किया जाने लगा . धड़ ! पकड़ ! मार सार के ! जैसे शब्दों का प्रयोग साथ-साथ चल रहा था . " कहा जाता है कि मारपीट के वक्त ये शब्द प्रयोग काफ़ी जोश पैदा करता है " स्थिति नियंत्रण से आउट तब हुआ जब समधी साहेब का सर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया .दुल्हे राजा मडवा पर बेखबर हो चचेरी, मौसेरी,फुफेरी ममेरी साली सरहज के साथ " रस मन्जरी" कार्यक्रम के तहत रंग जमाये हुए थे. रिपोर्ट आयी " बरात मे तो गजब हो गया लोगों ने तो समधी साहेब को पिटाई की रस्म पुरी कर दी ". ये ख़बर वीर रस के उपासक दुल्हे सरकार को तत्काल श्रृंगार रस त्यागने को मजबूर कर दिया .फालतू का एक धोती जो कंधे पर सुदामा जैसी चावल गठरी संभाले होती है, उतार फेंका . और ओरिजनल धोती को भी "डिस टरविंग एलेमेंट्स " समझते हुए ऊपर खोंस कर लंगोट का रूप देने का असफल प्रयास किया . आइज हैड गोन रेड , ब्रेथिंग वेयर फास्ट . इट मिंस दहशत का माहौल ." मोहबिया " को किसी खास की तलाश थी ,जबकि पुरी तरह वो एन्ना, मीना, डीका,रीता, फीता ,रीना , जीना जैसे सालियों से घिरा था . बट दैट टाइम्सही वांटेड टू मीट हिज सास फॉर आस्क " हथियार" . एट लास्ट ही गोट हर , एंड वेंट फास्टली टू सास पास एंड चीख कर बोला :- "ला बुढिया गडास {गडासा} आज खून के नदी बहा देबउ ! और कूद पड़ा मैदाने जंग मे .

बुधवार, 20 जून 2007

माँ मरुस्थल मे नदी है !


{ये मर्माश्पर्शी रचना मेरी नही,मैंने तो इससे गबन किया है। मध्यप्रदेश के कवि श्री ॐ व्यास जीं को इसका पाठ करते देखने और सुनाने का सौभाग्य प्राप्त कर चूका हुईं।कविता प्रस्तुत करने कि शैली इतनी जबर्दस्त थी कि एक भी आदमी ऐसा नही था जिन्होंने अश्रु-सुमन अपनी माँ के लिए अर्पित ना किया हो.लगभग १०००० पब्लिक के बीच सहरास्री,स्वप्न रोय जीं,सुपर स्तर अमिताभ्बचन,जाया बछां,अभिषेक बछां,

जाया परदा,अमर सिंह,मुलायम सिंह यादव,कई आईएस,इप्स ने भी अपनी भावना को रोक नही सके थे.लगातार उनके कपोलो पर आंसू अपनी उपस्थिति दर्ज कर रह था.आप भी भावनाओं मे गोटा लगाए और आशु अर्पित कर ले, मन तनाव मुक्त हो जाना चाहिऐ.}



माँ - माँ संवेदना है, भावना है, अहसास है।
माँ - माँ जीवन में खुश्बो के,फूलो का वास है.

माँ - माँ रोते हुए बचे का खुशनुमा पलना है .

माँ - माँ मरुअस्थल में नदी,या मीठा सा झरना है

माँ - माँ लोरी है, गीत है, प्यारी सी थाप है.

माँ - माँ पूजा कि थाली है, मंत्रो का जाप है.

माँ - माँ आंखों का सिसकता हुआ किनारा है.

माँ - माँ गालो पर पप्पी है, ममता कि धारा है .

माँ - माँ झुलसते दिलो में कोयल कि बोली है .

माँ - माँ मेंहदी है,कुमकुम है, सिन्दूर है,रोली है.

माँ - माँ कलम है, दावत है, स्याही है.

माँ - माँ परमात्मा कि स्वयम एक गवाही है.

माँ - माँ त्याग है, तपस्या है, सेवा है

माँ - माँ फूक से ठंडा किया हुआ कलेवा है

माँ - माँ अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवन है

माँ - माँ जिंदगी के मोहल्ले में आत्मा का भवन है

माँ - माँ छुरी वाले हाथो के मजबूत कंधो का नाम है.

माँ - माँ काशी है, काबा है, और चारो धम है.

माँ - माँ चिन्ता है, याद है, हिचकी है.

माँ - माँ बच्चे कि चोट पर सिसकी है.

माँ - माँ चूल्हा, धुआं, रोटी और हाथों का छल है.

माँ - माँ जिन्दगी के कर्वाहत में अमृत का प्याला है.

माँ - माँ पृथ्वी है, जगत है, धुरी है.

माँ - माँ बिना ईस सृस्ती कि कल्पना अधूरी है.

---- ॐ व्यास

Parents/ Parrots- Teacher Meet:

मैं अपने उताराधिकारी यानी सुपुत्र के स्कूल मे परेंट्स टीचर -मीट मे आमंत्रित थाअक्सर इसमे भाग लेने की जिम्मा मेरे जीवन साथी ही बखूबी निभाती रही हैंपर एक दिन उनकी तबियत खराब हो जाने के कारन ना चाहते हुए भी मुझे ही जाना पड़ासाड़ी तैयारी मैंने पूरी कर ली थीमतलब कि संकोच, झिझक को झटक दिया थास्कूल का मुख्य दरवाजा आते ही पॉकेट से कंघी निकाल चार पांच कारों के शीशे मे मुँह से अपने से को सवारादुसरे जेब से रुमाल निकाल पसीना पोंछाएक बार फिर चलते चलते स्कूटर के शीशा झांक कर अपने आप फिटनेस सर्टिफिकेट फ़ॉर टाक लेडी टीचर देते हुये शाही मे सभी कियानही हम ही nahi



एक हम ही नही और सभी लगभग इसी तरह सज-सवार रहे थे



तब मेरा उताराधिकारी शायद वर्ग मे थाइस हिसाब से मैं साल यंग था आज कि तुलना मेपरेंट्स टीचर संवाद शुरू थासजी-धजी खुबसुरत सी मैडम से नज़र मिलते ही होश लगभग खो गया था पल भर के लिएउस पर फरात्तेदार इंग्लिश के साथ वाणी मे जबर्दस्त मिठास ,मुझे अपनी कमजोरी का बार बार अहसास करा रहा थातब निपट रहे अविभावक जिनकी इंग्लिश मेरे जैसे थी , उनकी आवाज़ मानो पिचले varl कप मे सचिनकुछ ने या या ,राइट , ओके मैम , सिओर आई विल इतएवं थैंक्स से काम चलायाकहने का मतलब पैरेंट्स कम लोग पैर्रोत ज्यादा रहे थे






सात विकेट गिरते देर नही लगीमेरी बारी आयीअबतक मैं मैडम सौन्दर्य अवलोकन के साथ उनके गुगली ओर बाउंसर फेकने के तरीका से भली - भांति परिचित हो गया था



उन्होने नज़र फेका और तुरंत समेटते हुये पूछा "योर वार्ड ? रिप्लाई मे मैंने अपने "अनमोल रतन " का नाम बताया मैडम ने मार्क्स शीट सामने सरकाते हुये बोला "मैथ मे थोडा कम मार्क्स है और आजकल केयर नही करता है आपको बहुत केयर रखने कि जरूरत हैं "।

मतलब कि कम मार्क्स के लिए हम और हमारा बेटा ही रिस्पोंसिबुल है स्कूल टीचर नहीऐसा बाउंसर फेका कि शायद मैं भी पर आउट हो जाऊं लेकिन मैंने उन पर सिक्सर लगा दिया :- मैडम मैं तब से आपका फट -फट अंग्रेजी सुन कर पक चूका हूँअंग्रेजी सुना कर

पैरेंट्स को डरा कर तोता बना दियामैं वैसा पैरेंट्स हूँ नही जो आपके सामने आपका तोता बन येस मे येस मिलाता रहूँ । Yes I will do that की जगह मुझे तो केवल You have to do that. बोलने आता हैमेरा तो बस सीधा सा सवाल है क्या २२००/- मासिक फी अदा करने के बाद हम उसे घर पर ही मैथ मे " एट होम इन " बनाने को मजबूर रहें फिर इस ड्रामा मे स्कूल का रोल कहाँ फीट होता है ? और वह टॉप करे तो आपके स्कूल का विद्यार्थी पहले मेरा बेटा बाद मेहै ना ? हर साल मार्च अप्रैल मे ५०००/-एनुअल चार्जेज लेकर मुझे पतझड़ कर खुद तो स्प्रिंग सीजन सेलिब्रैत्त करती हैअरे आपको भी साल मे केवल एक बार ही दिखाना होता हैफिर क्यों नही मेरे बगिया मे बसंत आता ? क्यों नही कोयल को कूकने दिया जाता ? प्राप्तांक की कूक ही अभिभावक के मन मे सदाबहार बसंत लाता रहता हैमालूम नही क्या ? पैसा भी मैं ही दूं , टीच भी मैं करूं

ये गणित मेरी समझ मे नही आताआप फी लेना बंद कर दो मैं मार्क्स देना शुरू कर देता हूँआपकी मिट्ठी बोली कि गोली और सुन्दर सलोनी चेहरा देख करके अपनी म्हणत कि कमाई तय शुदा डेट पर बैंक तक पहुचाता रहूँपुरे साल कि फी लेकर . महिना का भैकेशन मनाती हो ये उचित है क्या ? चोर कामचोर , जेब कतरे ना कहूँ तो क्या कहू ? we want to see more score in all subject from my child through you & your school. now you have to apply your mind that how can be obtained the same from my lovely child by you . thats all.


ऐसा नही था कि खाली मैं ही dailogue delivery कर रह थाgaram-garam
iv>ऐसा नही था कि केवल मैं ही डायलाग मार रहा थागरमा-गरम संवाद के प्रथम चरण मे वो हेल्पलेस , होपलेस सी दिखी , पुनः रिकोवर होती गईसो घर मे हे भगवान ! बोलने वाली हेअर स्पोक " गौड , एक्स्क्युज मी , डोंट क्राई , कौल गार्ड , लिसन मी , दीस इज नॉट इन माय कन्सर्न प्लीज आस्क तू एडमिनिस्ट्रेशनऔर कई तरह की इंग्लिश गाली भी दी होगी मुझे ना तो फुर्सत थी ना चाह थी सुन ने कीकुछ अभिभावक टीचर का साइड लेने लगेमेरे कानो मे गार्ड को बुलाओ ! प्रिंसिपल मैम को बुलाओ ! पुलिस को बुलाओ !की आवाज़ बिल्कुल इन्किलाब ज़िदाबाद ! जिंदाबाद ! जिंदाबाद !! की तरह गुजना शुरू किया .बैटरी मेरी डाउन थी , पर मैंने शो नही कियाकमीज कि बांह को ऊपर समेटते हुये ,अपनी उर्जा का आभास दिलाते हुये बोला :- येस आई एम् रेडी तो फेस एनी पर्सन
आज ये संपूर्ण ड्रामा दूरदर्शन पर दिखेगा , कल अख़बार मे छपेगायेहि सब कहते हुये मोबाइल पूट-पूट करते आगे बढ़ाप्रिंसिपल साहिबा रास्ते मे ही मिल गईमेरे पहले तीर कि मैं प्रेस से हूँ का शिकार हो गईपूरी आत्मीयता से मुझे पहले पानी पिलाया गयाफिर आराम से अपनी बात रखने को कहा गयापर मेरा स्टॉक तो समाप्त हो चूका था और काफी कुछ सुना देने से ग्लानी भरा मन होने के बावजूद हल्का थाफिर भी एडमिनिस्ट्रेशन से रिलेटेड जो कुछ भी था उससे अवगत करायाकुछ से सहमत तो कुछ से असहमत थी प्रिंसिपल साहिबा खैर मुझे पुनः प्रसारण तो करना नही था बस घंटी बजाना था बजा दिया था कुछ सही के साथ कुछ ज्यादा गलत बोल जाने के लिए सॉरी बोलते हुये चैप्टर क्लोज करना उचित समझापर्सनल कमेंट्स के लिए सॉरी बोलना जरुरी था शेष कमेंट्स तो युनिवर्सल ट्रुथ था तो उसके लिए क्या सॉरी तोरी बोलना ?
आज पतझड़ के साथ बसंत भी आता हैकुछ -कुछ नया जरुर दिखता हैकहीँ सुन कर लाभ लिया जाता कहीँ सुना कर