नक्सल के हाथो मारे गए भारतीय नागरिक सामान्य नहीं असामान्य थे .
क्योंकि वे "खबरी लाल" थे , और दुसरे पुलिस के जवान के "हमसफ़र" थे
बस के अन्दर .बस ये अनिवार्य योग्यता काफी था ,उनके चयन का .
खूनी राजनीति की थाली में "लालू की लाली " दिखना भी अनिवार्य था ।