मैं अपने उताराधिकारी यानी सुपुत्र के स्कूल मे परेंट्स टीचर -मीट मे आमंत्रित था । अक्सर इसमे भाग लेने की जिम्मा मेरे जीवन साथी ही बखूबी निभाती आ रही हैं । पर एक दिन उनकी तबियत खराब हो जाने के कारन ना चाहते हुए भी मुझे ही जाना पड़ा । साड़ी तैयारी मैंने पूरी कर ली थी । मतलब कि संकोच, झिझक को झटक दिया था । स्कूल का मुख्य दरवाजा आते ही पॉकेट से कंघी निकाल चार पांच कारों के शीशे मे मुँह से अपने से को सवारा । दुसरे जेब से रुमाल निकाल पसीना पोंछा । एक बार फिर चलते चलते स्कूटर के शीशा झांक कर अपने आप फिटनेस सर्टिफिकेट फ़ॉर टाक लेडी टीचर देते हुये शाही मे सभी किया । नही हम ही nahi
एक हम ही नही और सभी लगभग इसी तरह सज-सवार रहे थे ।
तब मेरा उताराधिकारी शायद वर्ग ८ मे था । इस हिसाब से मैं २ साल यंग था आज कि तुलना मे । परेंट्स टीचर संवाद शुरू था । सजी-धजी खुबसुरत सी मैडम से नज़र मिलते ही होश लगभग खो गया था पल भर के लिए । उस पर फरात्तेदार इंग्लिश के साथ वाणी मे जबर्दस्त मिठास ,मुझे अपनी कमजोरी का बार बार अहसास करा रहा था। तब निपट रहे अविभावक जिनकी इंग्लिश मेरे जैसे थी , उनकी आवाज़ मानो पिचले varl कप मे सचिन। कुछ ने या या ,राइट , ओके मैम , सिओर आई विल इत । एवं थैंक्स से काम चलाया । कहने का मतलब पैरेंट्स कम लोग पैर्रोत ज्यादा रहे थे ।
सात विकेट गिरते देर नही लगी । मेरी बारी आयी । अबतक मैं मैडम सौन्दर्य अवलोकन के साथ उनके गुगली ओर बाउंसर फेकने के तरीका से भली - भांति परिचित हो गया था
उन्होने नज़र फेका और तुरंत समेटते हुये पूछा "योर वार्ड ? रिप्लाई मे मैंने अपने "अनमोल रतन " का नाम बताया मैडम ने मार्क्स शीट सामने सरकाते हुये बोला "मैथ मे थोडा कम मार्क्स है और आजकल केयर नही करता है आपको बहुत केयर रखने कि जरूरत हैं "।
मतलब कि कम मार्क्स के लिए हम और हमारा बेटा ही रिस्पोंसिबुल है स्कूल टीचर नही । ऐसा बाउंसर फेका कि शायद मैं भी ० पर आउट हो जाऊं लेकिन मैंने उन पर सिक्सर लगा दिया :- मैडम मैं तब से आपका फट -फट अंग्रेजी सुन कर पक चूका हूँ । अंग्रेजी सुना कर
पैरेंट्स को डरा कर तोता बना दिया । मैं वैसा पैरेंट्स हूँ नही जो आपके सामने आपका तोता बन येस मे येस मिलाता रहूँ । Yes I will do that की जगह मुझे तो केवल You have to do that. बोलने आता है । मेरा तो बस सीधा सा सवाल है क्या २२००/- मासिक फी अदा करने के बाद हम उसे घर पर ही मैथ मे " एट होम इन " बनाने को मजबूर रहें फिर इस ड्रामा मे स्कूल का रोल कहाँ फीट होता है ? और वह टॉप करे तो आपके स्कूल का विद्यार्थी पहले मेरा बेटा बाद मे । है ना ? हर साल मार्च अप्रैल मे ५०००/-एनुअल चार्जेज लेकर मुझे पतझड़ कर खुद तो स्प्रिंग सीजन सेलिब्रैत्त करती है । अरे आपको भी साल मे केवल एक बार ही दिखाना होता है । फिर क्यों नही मेरे बगिया मे बसंत आता ? क्यों नही कोयल को कूकने दिया जाता ? प्राप्तांक की कूक ही अभिभावक के मन मे सदाबहार बसंत लाता रहता है । मालूम नही क्या ? पैसा भी मैं ही दूं , टीच भी मैं करूं ।
ये गणित मेरी समझ मे नही आता । आप फी लेना बंद कर दो मैं मार्क्स देना शुरू कर देता हूँ । आपकी मिट्ठी बोली कि गोली और सुन्दर सलोनी चेहरा देख करके अपनी म्हणत कि कमाई तय शुदा डेट पर बैंक तक पहुचाता रहूँ । पुरे साल कि फी लेकर ३.५ महिना का भैकेशन मनाती हो ये उचित है क्या ? चोर कामचोर , जेब कतरे ना कहूँ तो क्या कहू ? we want to see more score in all subject from my child through you & your school. now you have to apply your mind that how can be obtained the same from my lovely child by you . thats all.
ऐसा नही था कि खाली मैं ही dailogue delivery कर रह था । garam-garam
iv>ऐसा नही था कि केवल मैं ही डायलाग मार रहा था । गरमा-गरम संवाद के प्रथम चरण मे वो हेल्पलेस , होपलेस सी दिखी , पुनः रिकोवर होती गई । सो घर मे हे भगवान ! बोलने वाली हेअर स्पोक " ओ गौड , एक्स्क्युज मी , डोंट क्राई , कौल द गार्ड , लिसन मी , दीस इज नॉट इन माय कन्सर्न प्लीज आस्क तू एडमिनिस्ट्रेशन । और कई तरह की इंग्लिश गाली भी दी होगी मुझे ना तो फुर्सत थी ना चाह थी सुन ने की । कुछ अभिभावक टीचर का साइड लेने लगे । मेरे कानो मे गार्ड को बुलाओ ! प्रिंसिपल मैम को बुलाओ ! पुलिस को बुलाओ !की आवाज़ बिल्कुल इन्किलाब ज़िदाबाद ! जिंदाबाद ! जिंदाबाद !! की तरह गुजना शुरू किया .बैटरी मेरी डाउन थी , पर मैंने शो नही किया । कमीज कि बांह को ऊपर समेटते हुये ,अपनी उर्जा का आभास दिलाते हुये बोला :- येस आई एम् रेडी तो फेस एनी पर्सन । आज ये संपूर्ण ड्रामा दूरदर्शन पर दिखेगा , कल अख़बार मे छपेगा । येहि सब कहते हुये मोबाइल पूट-पूट करते आगे बढ़ा । प्रिंसिपल साहिबा रास्ते मे ही मिल गई । मेरे पहले तीर कि मैं प्रेस से हूँ का शिकार हो गई । पूरी आत्मीयता से मुझे पहले पानी पिलाया गया । फिर आराम से अपनी बात रखने को कहा गया । पर मेरा स्टॉक तो समाप्त हो चूका था और काफी कुछ सुना देने से ग्लानी भरा मन होने के बावजूद हल्का था । फिर भी एडमिनिस्ट्रेशन से रिलेटेड जो कुछ भी था उससे अवगत कराया । कुछ से सहमत तो कुछ से असहमत थी प्रिंसिपल साहिबा खैर मुझे पुनः प्रसारण तो करना नही था बस घंटी बजाना था बजा दिया था कुछ सही के साथ कुछ ज्यादा गलत बोल जाने के लिए सॉरी बोलते हुये चैप्टर क्लोज करना उचित समझा। पर्सनल कमेंट्स के लिए सॉरी बोलना जरुरी था शेष कमेंट्स तो युनिवर्सल ट्रुथ था तो उसके लिए क्या सॉरी तोरी बोलना ?
आज पतझड़ के साथ बसंत भी आता है । कुछ -कुछ नया जरुर दिखता है । कहीँ सुन कर लाभ लिया जाता कहीँ सुना कर ।
आज पतझड़ के साथ बसंत भी आता है । कुछ -कुछ नया जरुर दिखता है । कहीँ सुन कर लाभ लिया जाता कहीँ सुना कर ।
1 टिप्पणी:
अती उत्तम !! पढ़ कर मज्जा आ गया.वाह
कुलभूषण
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