शुक्रवार, 21 मई 2010

अनिवार्य योग्यता

नक्सल के हाथो मारे गए भारतीय नागरिक सामान्य नहीं असामान्य थे .
क्योंकि वे "खबरी लाल" थे , और दुसरे पुलिस के जवान के "हमसफ़र" थे
बस के अन्दर .बस ये अनिवार्य योग्यता काफी था ,उनके चयन का .
खूनी राजनीति की थाली में "लालू की लाली " दिखना भी अनिवार्य था ।

बुधवार, 19 मई 2010

मौजूदगी !

हर सफल आदमी के पीछे औरत होती है ,तो हर असफल आदमी के आगे भी औरत ही होती है .

मंगलवार, 18 मई 2010

दंतेवाडा के दांत में फंसी जुबान और जवान !

कमाल है गृह मंत्री जी, कसाब जैसे कसाई की सुरक्षा में जितने
जवान लगाये ठीक उतने ही जवान को दंतेवाडा के महायज्ञ में
आहुति दे आये . ये जो दो -दो लाख चार -चार लाख का "दक्षिणा"
बाँट रहे है इसे भी कसाब के सुरक्षा में लगे खर्च के बराबर करने
का इरादा है क्या ? चूहे , जेल से अदालत तक जैसा सुरंग कसाब के
लिए बनाये क्या अपने जवान के लिए नहीं बना सकते थे ?
तुम्हारी जुबान की तरह आज हमारे "जवान" लड़खड़ा रहे हैं.
तुम्हारी जुबान की कीमत है कि नहीं ,नहीं मालूम पर हमारे
जवान की कीमत १०-५ लाख रूपया नहीं "जीत" है .