गुरुवार, 22 मार्च 2012

'मौजे के मौज' !

आज अपने राज्य का जन्म दिन है .सौ साल के हो गए बाबा बिहार .हर साल को नया करता गया .जनता से ही सरकार में आते हैं लोग .जिन्हें प्रदेश से देश से लगाव रहा,वो इसके रख रखाव में कोई कसर नहीं छोड़े . देश गुलामी की मार से पस्त था तब हमारा सहयोग जबरदस्त था .त्याग में, पांडित्य में, आतिथ्य में, सेवा में, संघर्ष में आगे ही रहे .जो गलत राजनीति की उपज थे ,वे अपच ही रहे .हवा की दिशा होती है आंधी की नहीं कुछ लोग जो परिवर्तन की आंधी में उड़कर आये उन्होंने गन्दा किया लोगों ने सफाई की ,डंडा किया उन्हें ! जनमानस बहकावे में आराम तो कर लेता है पर भूखे नहीं रह पाता .अपने हिस्से की आखिरी रोटी भी कोई क्यों दे?बगल में मलाई कोप्ता, मलाई पान चले और इधर दिमाग भी न चले .शैतानी दिमाग थाली छिनने की नीति पर राजनीति की ,मानवी दिमाग अपनी थाली सजाने का'राज'जाना !'नीति'बनाई ! तो प्रीत की रीति चल निकली .
गाँव में मौजे सहनी का बेटा ,हजारी लाल अपने चाचा के सहयोग से पांचवी तक पढ़ने के कारण जातिगत पेशा ,मछली पकड़ने से मुक्त रहा पर बाप द्वारा पकडे गए मछली की बिक्री पर बड़े परिवार का गुजारा संभव नहीं था . मौज करने का उपाय सोचता गया मौजे का बेटा ! कुछ पैसे का जुगाड़ किया पान की दूकान खोल ली ,हँसते हुए उधार में ग्राहक के मुंह के साथ दिल रंगता रहा . पान ने चाय की दुकान और फिर नास्ते की दूकान खोलवा दी आज मौजे ३० साल से अपने तीनो बेटे के साथ खुद भी काफी व्यस्त है ,दुकान ही नहीं पैसा भी संभाल रहा है .
तरक्की के बीज तब डाले गए जब लालू बिहार का खेत नहीं फसल जोत रहे थे . मौजे की थाली में मोटा मलाई होता था १९९०-९२ में .उसकी थाली में 'छाली' किसी राजनेता या पार्टी की नीति ने नहीं डाला .तो किसी राजनितिक फैसले या नीतिगत फैसले से वो इस सुविधा से वंचित भी नहीं रहा होगा .1996 से गाँव की हर बेचीं जाने वाली जमीन का सशक्त ग्राहक भी बन गया है .व्यक्ति प्रगति करेगा , समाज प्रगति करेगा . सरकारी नीति चाहे जो भी हो व्यक्ति को साफ़ नियत से बनाई अपनी नीति पर चलनी चाहिए . साफ़ सड़क पर चलिए . पर ये न कहिये कि ये नितीश जी की है ,क्योंकि वो भी नहीं कह रहे कि ये केंद्र की है .झूठे से भी सत्य बोलिए ! मैंने आपके दिए अनुभव के आधार पर फेस बुक पर लिखा था -
अपनी सोच की दिशा ही दशा बदलती है सरकार अपनी रोटी सेकती है ! पर ३० साल पहले की मौजे की थाली निकला . सुखी रोटी , चार फांक आलू , पकाया लाल मिर्च .पर सबकी 'थाली में छाली' की मंगलकामना के साथ ! बिहार पर असीम गर्व है ! 'मौजे के मौज' पर भी !