कर्ज लेकर किराने की बड़ी दुकान चला रहे हीरालाल की एकलौती संतान करण पढ़ाई के नाम फान्केबाजी करना भाता था. उसकी माँ अनपढ़ बाप सातवी पास .हर बाप की तरह हीरालाल अपने लाल को जवाहर लाल बनाने को सोच रखा था . इस दिशा मे दो टिउशन लगा कर प्रयास शुरू कर दिया गया था. गिरते पड़ते करण मैट्रिक तक पहुच चुका था . सोलह साल का करण बाप की दुकान से चुराए गए पैसे से तमाम बुरी आदत का स्वामी बन चुका था .शिक्षक, दोस्त सब उसके दुकान से नियमित मारे गए सुपारी, इलायची, टॉफी , सिगरेट मुफ्त उपभोक्ता थे .करण हर दिन को शिक्षक दिवस और फ्रेंड्स शिप डे की तरह मनाकर पूरे स्कूल मे लोकप्रिये था. मुफ्त मे उपहार के बदले झूठी प्रसंशा से तृप्त करण मैट्रिक मे दो साल असफल रहा . झूठी प्रशंसा अपना पाँव फैलाकर उसके बाप तक यदा-कदा पहुचती रही ,पर परिणाम से नाखुश हीरालाल हिला हुआ था .जब तब अपनी पत्नी को भभकी देता था कि "तेरा बेटा पढ़ता तो है नही ,किसी दिन उल्टा लटका देंगे , मार-मार कर गदहा बना देंगे , चौराहे पर खड़ा कर दस जाति का थूक फेकवायेंगे . कभी कहता सौ जूते मारेंगे और मारेंगे दस और गिनेगे एक " . दह्सत मे हीरालाल की पत्नी माँ होने के नाते आंखों मे आंसू भरकर भरोसा जता देती थी कि पढेगा और पढेगा .आप चिंता न करे मैं रोज उसके साथ बैठुगी पढ़ते समय . चिंता मग्न माँ शाम ढलते ही लालटेन जला बेटा करण आवाज़ लगाई ,आवाज़ मे खनक ऐसी मानो माँ ने बेटे की जिंदगी का लालटेन जला दिया हो . करण बस्ता लिए हाज़िर हुआ ,पालथी लगाकर बैठा ही था कि माँ का बैचैन मन कुछ कहना शुरू किया "रे बेटा सुनने मे आया है कि तेरा पढ़ना लिखना साढे बाईस हो गया है . एक ही बेटा है बपवा मारके फेंक देगा ." करण अंग्रेजी की पुस्तक बस्ता से निकालते हुए अपनी अनपढ़ माँ को बताया देखो माँ अभी तुम्हे बताते है की तेरा बेटा अंग्रेजी मे कितना तेज है जबकि गाँव मे लोगों को हिन्दी और संस्कृत पढ़ने मे पसीना आ जाता है . करण पूरी रफ़्तार मे लगा इंग्लिश पढ़ने " महात्मा गाँधी वाज फोर फुटेद डोमेस्टिक एनीमल एंड दिस मैन डिस टीस, टीस .बिफोर द टेबुल न्यूज़ पेपर इस देयर .एंड कस्तूरबा इज अ लेडी इन फीवर . अल द मेन एंड वूमेन दिस्लिके जनरल नोलेज . बट नोट नोलेज विदाउट कॉलेज . कुश्चन एंड अन्सर फुल ऑफ़ बक्टेरिया , ब्रदर & सिस्टर गो इन स्कूल . साईंस इस हार्ड बट हार्ट इज फ़ेल ऑफ़ . रूम इस लाइट बट नोट सन लाइट . माय मदर सिट टू मी एंड फाठेर इन शॉप जस्ट लायिक अ मोंकी . एंड मानी चाइल्ड कराई ,बिपिंग, प्लायिंग एंड रुन्निंग .इदी फा सफा नफा एंड तिब्रिश .ब्रितिस , एंड इंदिरा गाँधी इस अल्सो सफाचट. "
करण का तीर निशाने पर था . करण से ज्यादा खुश उसकी माँ थी हवा से तेज गति मे बेटे को इंग्लिश पढता देख माँ पूर्ण संतुष्टि मे बोल गई " हां रे बेटा ऐसे ही पढ़ना नही तो बापवा काटिए के रख देगा . अभी लेके आते हैं लेमनचुस ". करण अपनी जीत पर बिखरे होठ को खैनी से सम्मानित करना उचित समझा . अंततः सेठ हीरालाल का बेटा तीसरे साल मे व्यापक पैमाने पर नक़ल की व्यवस्था के तहत मैट्रिक कर ही गया .जवाहर लाल तो नही बेटा आज केवल हीरालाल है . विरासत की दूकान सम्भाल रहा है.
शनिवार, 29 मार्च 2008
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2 टिप्पणियां:
जवाहर लाल तो नही बेटा आज केवल हीरालाल है . विरासत की दूकान सम्भाल रहा है.
"very toucing story, or end to aisa hee hona tha good"
bhut sundar kahani likhi hai. badhiya.
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