गुरुवार, 31 मई 2012

आमिर आजिज हैं हम !

आमिर, जारी रहे ! यहाँ कोई भी कुलपति के चरित्र में झांक के विश्वविधालय में नामांकन नहीं कराता. प्राचार्य की जन्म कुंडली देखे बैगैर विद्यालय जाता है .शिक्षक संविधान के किस अनुछेद में छेद किया है बिना पता किये हुए चुपचाप शिक्षा ग्रहण किये हुए लोग है ये .बड़े दलाल , लुटेरे के संस्थान से बिना उसकी कुंडली मिलान किये विद्योपार्जन , धनोपार्जन करे तो वाह वाह ! हम कभी भी डाक्टर के चरित्र का पता नहीं करते ,बस इलाज अच्छा हो . फोर्टिस, अपोलो, मैक्स के मालिको चरित्र दर्पण अपने पास नहीं होता .वैसे भी पब्लिक के लिए पब्लिक की बात ,पब्लिक का सर्वे , पब्लिक का दर्द पब्लिक के मरहम के लिए ,पब्लिक को पब्लिकली दिया !

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